उत्तराखण्ड के प्रमुख मेले
Uttarakhand ke prasidh mele
मेले | स्थल | विशेषताएं |
नन्दादेवी मेला | अल्मोड़ा | सामान्य रूप से कुमाऊँ तथा गढ़वाल में कई जगह, विशेष रूप से अल्मोड़ा के नन्दादेवी परिसर |
श्रावणी मेला | अल्मोड़ा | जागेश्वर धाम में, श्रावण में |
सोमनाथ मेला | अल्मोड़ा (रानीखेत) | पशुओं का क्रय-विक्रय |
गणनाथ मेला | अल्मोड़ा | गणनाथ में, कार्तिक पूर्णिमा |
स्याल्दे-बिखौती मेला | अल्मोड़ा (द्वाराहाट) | वैशाख के प्रथम दिन एवं रात |
श्री पूर्णागिरी मेला | चम्पावत (टनकपुर) | अन्नपूर्णा शिखर के श्री पूर्णागिरी मंदिर पर |
बग्वाल मेला (असाड़ी कौतीक) | चम्पावत (देवीधुरा) | रक्षा बंधन के दिन, पत्थर वर्षा |
लड़ी धूरा मेला | चम्पावत | बाराकोट के पम्पादेवी मंदिर पर |
मानेश्वर मेला | चम्पावत | चमत्कारी शीला, पशुओं के स्वस्थ रहने के लिए |
नन्द शतसी मेला | नैनीताल | – |
चित्र शिला मेला | नैनीताल (रानीबाग) | – |
सीतावनी मेला | नैनीताल (सीतावनी) | – |
थल मेला | पिथौरागढ़ | बालेश्वर थल मंदिर में, वैशाली |
जौलजीवी मेला | पिथौरागढ़ | कार्तिक में (काली-गोरी नदियों के संगम पर) |
नागपंचमी मेला | पिथौरागढ़ (गंगोली) | धौलानाग में |
चैती (बाला सुन्दरी) मेला | उधमसिंह नगर (काशीपुर) | कुण्डेश्वरी या बालासुन्दरी देवी के स्थान पर |
माघ मेला | उत्तरकाशी | देवी-देवताओं को गंगा स्नान |
बिस्सू मेला | उत्तरकाशी | धनुष-बाणों युद्ध के लिए |
गिन्दी मेला (गिर मेला) | पौढ़ी गढ़वाल | गेंद खेला जाता |
बैकुंठ चर्तुदशी मेला | पौढ़ी गढ़वाल | श्रीनगर, कमलेश्वर मंदिर |
ताडकेश्वर मेला | पौढ़ी गढ़वाल | – |
भुवनेश्वरी मेला | पौढ़ी गढ़वाल | – |
दनगल मेला | टिहरी गढ़वाल | महा शिवरात्रि को |
कूस्नापुरी मेला | टिहरी गढ़वाल | – |
चन्द्रबदनी मेला | टिहरी गढ़वाल | चन्द्रबदनी मंदिर |
रणभूत कौथीक मेला | टिहरी गढ़वाल | विभिन्न युद्धों में मारे लोगों के याद में भूत नृत्य |
विकास मेला | टिहरी गढ़वाल | – |
हरियाली पूड़ा मेला | चमोली (नौटी गांव) | – |
गोचर मेला | चमोली | नेहरू के जन्मदिन से शुरू |
नुणाई मेला | देहरादून (जौनसार) | भेड़ पालकों के लिए |
टपकेश्वर मेला | देहरादून | शिवरात्रि पर |
चंडी देवी मेला | देहरादून | – |
भद्रराज मेला | देहरादून | – |
झण्डा मेला | देहरादून | 1676 से, गुरु रामराय के जन्मदिन पर |
जियारानी मेला | रानीबाग | काठगोदाम के निकट |
पिरान कलियर बाबा मेला | रूढ़की (हरिद्वार) | मजार पर |
उत्तरायणी मेला | गढ़वाल/कुमाऊँ | वैसे सम्पूर्ण राज्य में, विशेष बागेश्वर में, 1921 में यहीं कुली बेगार प्रथा अंत |
नौठा कौथीक मेला | गढ़वाल/कुमाऊँ | पाषाण युद्ध, आदि बदरी में इसे हिमालय महोत्सव कहते है |